19 December 2022

Tenant Turns Property Owner

 दो साल में खुद का घर खरीद लेते हैं किरायेदार! सर्वे में हुआ खुलासा, आंकड़े देख हो जाएंगे हैरान

Tenant Turns Property Owner: गांव और छोटी जगहों से बड़े शहरों में आने वाले लोग दो से चार साल में ही खुद की प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। एक सर्वे में यह बात सामने आई है। सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर किरायेदार पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह टू व्हीलर से चलना ज्यादा पसंद करते हैं।





शहरों में रोजगार के तमाम अवसर होते हैं। इसी वजह से गांव और छोटे शहरों से लोग बड़े शहरों की ओर जाते हैं। शहर में आने के बाद लोग किराये पर फ्लैट या मकान लेते हैं। इसके बाद शहर में वो अपना खुद का घर खरीदने की सोचने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं शहर में बाहर से रहने आए लोगों को किरायेदार से अपनी खुद की प्रॉपर्टी खरीदने में कितना समय लगता है? करीब 2 से 4 वर्ष। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए यह अवधि 10 वर्ष तक हो सकती है। सीईपीटी विश्वविद्यालय की ओर से अहमदाबाद में किराये और स्वामित्व के पैटर्न पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है।

इस तरह किया गया सर्वे


फैकल्टी ऑफ प्लानिंग के परास्नातक छात्र पीजी फाउंडेशन कोर्स का हिस्सा थे, जहां सिटी स्टूडियो के तहत उन्होंने अहमदाबाद में पूर्वी और पश्चिमी शहर के दोनों हिस्सों में 1 वर्ग किमी के 136 ब्लॉक में और डेटा जमा करने के लिए 4,600 घरों को कवर किया है। आंकड़ों के मुताबिक, ब्लॉकों की कुल आबादी का लगभग 19 फीसदी किरायेदारों में शामिल है, लेकिन पांच क्षेत्रों - नवा नरोदा, चांदखेड़ा, सोला, थलतेज और गोटा - में लगभग 45 फीसदी या उससे अधिक आबादी किरायेदारों से बसी है। सर्वे के मुताबिक, काम करने की दूरी 50 फीसदी जगह की पसंद के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद स्कूल/शैक्षणिक संस्थान से दूरी 20%, बुनियादी ढांचा 15%, सार्वजनिक परिवहन से दूरी 12% और सामाजिक सुविधाएं 3% शामिल हैं।

ऑफिस के पास रहना पसंद करते हैं लोग


सर्वे के मुताबिक, ज्यादातर किरायेदार ऑफिस के पास रहना पसंद करते हैं। लोग कोशिश करते हैं कि जहां पर वो काम कर रहे हैं उसके करीब 5 किलोमीटर तक की दूरी पर ही रहने की जगह ढूंढें। वहीं लगभग 75 फीसदी मध्यम वर्ग के किरायेदार सार्वजनिक परिवहन की तुलना में दोपहिया वाहनों से ऑफिस जाना पसंद करते हैं। इसकी वजह है कि दोपहिया वाहनों पर उनका भरोसा और कहीं भी आसानी से आने-जाने की सुविधा। इसी के चलते ज्यादातर किरायेदार दोपहिया वाहनों पर पांच गुना तक ज्यादा खर्च करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि किरायेदारों में 79 फीसदी अपार्टमेंट में रहते हैं।

पहली बार संपत्ती खरीदने वालों में 50 फीसदी किरायेदार
GIHED-CREDAI के अध्यक्ष तेजस जोशी के मुताबिक, पहली बार संपत्ति खरीदने वालों में से लगभग 50 फीसदी किराएदार हैं जो कुछ समय से शहर में रह रहे हैं। हालांकि पिछले दो वर्षों में देखा जाए तो इसमें थोड़ी गिरावट आई है। इसकी वजह ब्याज दरों में बढ़ोतरी होना है। इसके चलते ईएमआई किराये की तुलना में थोड़ी ज्यादा हो गई है। हालांकि 30 से 50 लाख रुपये तक की किफायती संपत्ती खरीदने वालों में वो लोग आगे हैं जो किराये के घर में रहते हैं, अब वो अपनी खुद की प्रॉपट्री खरीदना चाहते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में शेला, साउथ बोपल, शिलाज, वैष्णोदेवी सर्किल और पश्चिमी तरफ जुंदाल और पूर्वी तरफ निकोल ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर लोग प्रॉपर्टी खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, अहमदाबाद की जीडीपी पुणे (92 बिलियन डॉलर) और हैदराबाद (75 बिलियन डॉलर) से करीब 68 बिलियन डॉलर पीछे है। इसकी मुख्य वजह युवा युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करने में असमर्थता है जो आमतौर पर संपत्ति खरीद के साथ बसने की तुलना में किराये के परिसर में रहना पसंद करते हैं। मूल रूप से पाटन के रहने वाले कुशाल मोदी बताते हैं कि वह साल 2012 में एक आईटी फर्म में नौकरी करने के लिए अहमदाबाद आए थे। यहां पर पांच साल तक नौकरी करने के बाद जब उनकी कुछ सैलरी बढ़ गई तो उन्होंने सेटल होने का फैसला किया। इस दौरान उनकी शादी भी होनी थी। यह भी घर खरीदने की एक वजह थी। इसके बाद उन्होंने साल 2018 में वैष्णोदेवी सर्किल के पास एक प्रॉपर्टी खरीदी।


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